Tuesday, January 22, 2013

समाधान


एक बूढा व्यक्ति था। उसकी दो बेटियां थीं। उनमें से एक का विवाह एक कुम्हार से हुआ और दूसरी का एक किसान के साथ।

एक बार पिता अपनी दोनों पुत्रियों से मिलने गया। पहली बेटी से हालचाल पूछा तो उसने कहा कि इस बार हमने बहुत परिश्रम किया है और बहुत सामान बनाया है।  बस यदि वर्षा न आए तो हमारा कारोबार खूब चलेगा।
बेटी ने पिता से आग्रह किया कि वो भी प्रार्थना करे कि बारिश न हो।
फिर पिता दूसरी बेटी से मिला जिसका पति किसान था। उससे हालचाल पूछा तो उसने कहा कि इस बार बहुत परिश्रम किया है और बहुत फसल उगाई है परन्तु वर्षा नहीं हुई है। यदि अच्छी बरसात हो जाए तो खूब फसल होगी। उसने पिता से आग्रह किया कि वो प्रार्थना करे कि खूब बारिश हो।
एक बेटी का आग्रह था कि पिता वर्षा न होने की प्रार्थना करे और दूसरी का इसके विपरीत कि बरसात न हो। पिता बडी उलझन में पड गया। एक के लिए प्रार्थना करे तो दूसरी का नुक्सान। समाधान क्या हो ?
पिता ने बहुत सोचा और पुनः अपनी पुत्रियों से मिला। उसने बडी बेटी को समझाया कि यदि इस बार वर्षा नहीं हुई तो तुम अपने लाभ का आधा हिस्सा अपनी छोटी बहन को देना। और छोटी बेटी को मिलकर समझाया कि यदि इस बार खूब वर्षा हुई तो तुम अपने लाभ का आधा हिस्सा अपनी बडी बहन को देना।

Friday, January 11, 2013

कहीं नर और वानर ही न बच जाएं दिल्ली में ! (आलोक पुराणिक )

इकॉनमिक टाइम्स (9 जनवरी, 2013) के पहले पेज की रिपोर्ट है कि अब दिल्ली, नोएडा, गुड़गांव में कार्यरत तमाम कामकाजी महिलाएं अनसेफ एनसीआर से बाहर जाना चाहती हैं। मुझे आशंका है कि गैर-कामकाजी महिलाएं भी अनसेफ दिल्ली-एनसीआर छोड़ने का फैसला ना कर लें। ऐसा न हो कि दिल्ली में सिर्फ नर और वानर बचें।

सोचकर घबरा रहा हूं कि दिल्ली से उड़ने वाली फ्लाइट्स में एयर होस्टेस ना मिलें, कई बस कंडक्टरों और ऑटो चालकों की तरह बलिष्ठ और बदतमीज पुरुष एयरहोस्ट मिलें, जो दूसरी बार पानी की मांग करने पर डपट दें- सारी बोतलें ठूंस दूं क्या तेरे मुंह में। एयरलाइंस वाले तो कह देंगे कि जी ये ही हैं, जो दिल्ली में काम करने को रेडी हैं। दिल्ली आने वाले जहाजों की एयरहोस्टेस भी दिल्ली से पचास किलोमीटर पहले ही पैराशूट से कूद जाती हैं।

दिल्ली में फैशन शो में जिस सुंदरी को ड्रेस पहनकर रैंप पर चलना होगा, वह सुंदरी अनसेफ दिल्ली में आने से, यहां पर कहीं भी जाने से इनकार कर देगी। एक फैशन डिजाइनर ने मुझसे कहा कि अनसेफ दिल्ली के लिए जिम्मेदार पुलिस वालों को ही ड्रेस पहनाकर रैंप पर चलाना पड़ेगा। वो जो पुलिसजी दिख रहे हैं ना उस ड्रेस में, उनकी जगह रीटाजी की कल्पना कीजिए। उस ड्रेस में यूं तो वह छह फुटे कॉन्स्टेबल हैं, पर उन्हें आप मार्गरीटा समझिए। दिल्ली में काम करने को तो जी ये ही रेडी हो पा रहे हैं।

राखी सावंतजी अपनी किसी फिल्म का प्रमोशन करने के लिए अनसेफ दिल्ली आने से इनकार कर देंगी। तब सीन ये होगा कि किसी होटल में राखीजी का हीरो एक पहलवान के साथ बांहों में झूलकर गाना गा रहा होगा। पीछे से डायरेक्टर बताएगा कि इन पहलवानजी को आप राखी सावंत मानिए। दिल्ली में काम करने को तो जी ये ही रेडी हो पा रहे हैं।

मुझे लगता है कि अनसेफ दिल्ली में कुछ दिनों बाद विमिन के नाम पर सिर्फ वही बचेंगी, जो विमिन टैक्सी ड्राइवर वाली टैक्सी सेवा संचालित करती हैं, क्योंकि अनसेफ दिल्ली में पुरुष भी विमिन ड्राइवर वाली टैक्सी में ही खुद को सेफ महसूस करेंगे।
http://blogs.navbharattimes.indiatimes.com/dillidamamla/entry/women-in-delhi